वर्चुअल क्लास/ गोविन्द सिंह
प्यारे साथियो,
हम यहाँ अमर उजाला के रविवारीय परिशिष्ट में छपा एक फीचर दे रहे हैं.
इसे आप ज़रा ध्यान से पढ़िए. इसमें मार्शल आर्ट की एक विधा पार्कुर के बारे में
बताया गया है. इससे पहले मुझे भी इस विधा के बारे में जानकारी नहीं थी. यानी इसमें
समाज की एक नई प्रवृत्ति के बारे में बताया गया है. और सच बात यह है कि एक छोटे से
शहर के युवा इस कला में महारत हासिल कर रहे हैं, जो फिल्मों में काम कर रहे हैं,
राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय स्पर्धाओं में मैडल जीत रहे हैं और अपना व देश का नाम
रोशन कर रहे हैं. है न कमाल की बात. इस तरह यह फीचर एक तरफ समाज में आ रहे एक
सकारात्मक बदलाव के बारे में भी बता रहा है और पाठकों के मन में एक उत्सुकता भी
जगा रहा है. साथ ही युवाओं में प्रेरणा भी पैदा कर रहा है. यानी फीचर का विषय बहुत
ही मौजूं है. इसकी भाषा-शैली भी रोचक है. कहानी की तरह इसमें रोचकता बनी रहती है. इसके
फोटो विशेष रूचि जगाते हैं. फोटोओं को इस तरह से पेज में सजाया गया है कि पाठक की
दिलचस्पी बढ़ जाए. इसलिए इसे पढ़िए, इसकी अच्छाइयों और कमियों पर सोचिए और हमें
टिप्पणी लिख भेजिए. साथ ही अपने आसपास के माहौल पर भी पैनी नजर रखिए. यदि आपके
आसपास भी ऐसा कुछ हो रहा हो तो उसे अपने फीचर का विषय बनाइए.
अभ्यास: इसके आधार पर बताइए कि एक अच्छे फीचर की क्या-क्या विशेषताएं
होती हैं?
-आपका, प्रो. गोविन्द सिंह, पत्रकारिता एवं मीडिया अध्ययन विभाग.
Nice sir, knowledge wali blog hai.
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