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Sunday, January 18, 2015

सेंसरशिप ठीक नहीं, पर मीडिया खुद भी तो सोचे

सूचना एवं प्रसारण मंत्री अरुण जेटली ने 18 जनवरी, 2015 को नई दिल्ली में जस्टिस जे एस वर्मा मेमोरियल लेक्चर में 'मीडिया की स्वतंत्रता और जवाबदेहीविषय पर एक महत्वपूर्ण भाषण दिया. इस भाषण में जेटली ने कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर सवाल उठाये हैं. हम यहाँ उनके भाषण की 10 प्रमुख बातें दे रहे हैं. हम चाहते हैं कि आप भी इन्हें पढ़िए: 
1. प्रतिबंधों का दौर अब ख़त्म हो चुका है. किसी भी सरकार के लिए सेंसरशिप लगाना संभव नहीं. कैमरे ने ख़बरों की परिभाषा बदल दी है.
2. मीडिया नागरिकों के लिए आंख और कान है लेकिन टीआरपी की वजह से ख़बरों की कवरेज पर असर पड़ता है.
3. मीडिया की अनियंत्रित रिपोर्टिंग की वजह से ही भारत के विभिन्न हिस्से में रह रहे पूर्वोत्तर छात्रों को अपने गृह राज्य में वापस जाना पड़ा.
4. भारतीय मीडिया अपनी सीमाओं का पालन नहीं करता और मीडिया ट्रायल ज़रूर ख़त्म होना चाहिए.
5. मीडिया को अदालत में विचाराधीन मुद्दों, किसी आतंकी घटना या किसी व्यक्ति की निजी जिंदगी से जुड़ी ख़बरों को कवर करते वक़्त सावधानी बरतनी चाहिए.
6. मीडिया में अभी एफडीआई बढ़ाने का फ़ैसला नहीं हो पाया है.
7. मीडिया के दूसरे माध्यमों की तुलना में डिजिटल मीडिया ज़्यादा असरदार है लेकिन यहां भी तथ्यों की पुष्टि के मानक का संकट है.जेटली ने कहा कि मीडिया को ख़बरों की कवरेज में सावधानी बरतनी चाहिए
8. प्रसारण क्षेत्र में अत्याधुनिक तकनीक ने भी अपनी चुनौतियां पेश की हैं और भविष्य में इसके विकास की गति का अंदाज़ा लगाना मुश्किल है.
9. मीडिया पहले की तुलना में ज़्यादा मजबूत हुई है. पत्रिकाओं के सामने सबसे ज़्यादा चुनौती है. सोशल माध्यम ने मीडिया का स्वरूप बदल दिया है.
10. पहले मीडिया कुछ ग़लत कहता था तो निराशा होती थी लेकिन अब हम कोई चिंता नहीं करते.
(साभार: बीबीसीहिन्दी.कॉम).  


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