School Announcement

पत्रकारिता एवं जनसंचार के विभिन्न पाठ्यक्रमों के छात्रों के लिए विशेष कार्यशाला

Monday, June 22, 2015

एमजेएमसी दूसरे सेमेस्टर का चौथा प्रश्नपत्र

एमजेएमसी दूसरे सेमेस्टर के छात्रों के लिए जरूरी सूचना
एमजेएमसी, दूसरे सेमेस्टर के छात्रों के लिए चौथे प्रश्न पत्र के रूप में व्यावहारिक मीडिया लेखन रखा गया है. यह प्रश्नपत्र अब तक पढ़े गए पर्चों पर आधारित होगा. इसके लिए कोई अध्ययन सामग्री हम नहीं दे रहे हैं. हालांकि इसके लिए हम अपने ब्लॉग में जरूर कुछ सामग्री दे रहे हैं. जिसका लिंक नींचे दिया जा रहा है. इसमें असाइंमेंट भी नहीं बनाने हैं. इसके लिए शिक्षार्थियों को चाहिए कि वे नियमित रूप से पत्र-पत्रिकाएं पढ़ते रहें. और यह देखें कि किस तरह से रिपोर्ट, लेख, फीचर आदि लिखे जाते हैं. साथ ही वे अपनी रूचि के विभिन्न विषयों पर लिखना भी शुरू करें. और अखबारों और पत्रिकाओं में अपने लेख आदि भी प्रकाशनार्थ भेजें. अपने अध्ययन केंद्र के काउंसेलर से मशविरा करें. मुक्त विश्वविद्यालय स्थित मॉडल स्टडी सेंटर के छात्र प्रो. गोविन्द सिंह (Ph: 09410964787) या श्री राजेन्द्र क्वीरा (Ph: 09837326427) से राय-मशविरा करें.
प्रिंट मीडिया के लिए लेखन की विधाएं. देखें यह लिंक:
http://uoujournalism.blogspot.in/2015/01/blog-post.html
इस पर्चे में सामान्यतः निम्न विधाओं पर प्रश्न पूछे जा सकते हैं:
रिपोर्ट, लेख, फीचर, इंटरव्यू, शब्द चित्र, रेखाचित्र, खोजपरक रिपोर्ट, विज्ञापन की कॉपी, टीवी की स्क्रिप्ट और वह सब जो अखबारों में छपता है.
-प्रो. गोविन्द सिंह,  निदेशक, पत्रकारिता एवं मीडिया अध्ययन, 
उ.मु वि वि, हल्द्वानी.

  

Sunday, June 21, 2015

पत्रकारिता: डिग्री एवं डिप्लोमा हेतु प्रोजेक्ट रिपोर्ट और लघु शोध प्रबंध

Topics for Project Report and Dissertation
पत्रकारिता एवं जन संचार में मास्टर्स डिग्री (MJMC) हेतु लघु शोध प्रबंध और पीजी डिप्लोमा (PGDJMC) , प्रसारण पत्रकारिता एवं न्यू मीडिया में पीजी डिप्लोमा (PGDBJNM) और विज्ञापन एवं जनसंपर्क में पीजी डिप्लोमा (PGDAPR) के शिक्षार्थियों के लिए प्रोजेक्ट रिपोर्ट
लघु शोध प्रबंध/ प्रोजेक्ट रिपोर्ट 
लघु शोध प्रबंध का आशय यह है कि शिक्षार्थी एक विषय का गहन अध्ययन प्रस्तुत करे. इस बहाने उसे मीडिया क्षेत्र को गहराई से जानने-समझने का अवसर मिले और उस विषय के बारे में अर्जित ज्ञान का बेहतरीन प्रदर्शन करे. साथ ही जहां जरूरी हो शोध प्रविधि का भी इस्तेमाल करे. शोध प्रबंध को कम से कम 50 पृष्ठ का होना चाहिए जबकि प्रोजेक्ट रिपोर्ट के लिए कम से कम 40 पृष्ठ निर्धारित हैं.
जिन छात्रों ने परीक्षा का माध्यम हिन्दी अपनाया है, वे हिन्दी में और जिन छात्रों ने अंग्रेज़ी में परीक्षा का विकल्प चुना है, वे अंग्रेज़ी में ही प्रोजेक्ट रिपोर्ट या लघु शोध प्रबंध लिखें.
जहां जरूरी हो, फोटो, कार्टून, चित्र आदि लगाना ना भूलें. साथ ही सन्दर्भों का जरूर हवाला दें. लघु शोध प्रबंध/ प्रोजेक्ट रिपोर्ट आपकी मौलिक रचना होनी चाहिए, नक़ल की हुई नहीं. इनके अतिरिक्त यदि किसी के पास अपना अभिनव विचार हो तो सूचित करें. अधोहस्ताक्षरी की लिखित अनुमति के बाद ही नए विषय पर लघु शोध/ प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार किया जा सकता है.
समस्त शिक्षार्थियों/ अध्ययन केन्द्रों से अनुरोध है कि वे अपना लघु शोध प्रबंध/ प्रोजेक्ट रिपोर्ट बाईंड करवा के परीक्षा नियंत्रक, उमुविवि, हल्द्वानी को ही भेजें.
APR
निम्नलिखित में से किसी एक विषय पर कम से कम 40 पेज का प्रोजेक्ट तैयार कीजिए:
1-    जनसंपर्क अधिकारी : योग्यता, कार्य और दायित्व :
अपने जिले के सूचना अधिकारी या अपने इलाके के किसी जाने-माने संस्थान के जन संपर्क अधिकारी के पास जाइए और उनके कार्यों, दायित्वों, कार्यशैली और दिनचर्या के बारे में पूछिए. तमाम जानकारियों पर आधारित एक प्रोजेक्ट तैयार कीजिए.
2-    भ्रमित करने वाले विज्ञापन:
मैगी नूडल्स प्रकरण के बहाने अब तक प्रकाश में आये ऐसे विज्ञापनों और प्रचार- अभियानों पर एक प्रोजेक्ट तैयार कीजिए. इस मुद्दे के तमाम पहलुओं को उजागर करते हुए एक समग्र रिपोर्ट तैयार कीजिए.
 
BJNM
निम्नलिखित में से किसी एक विषय पर कम से कम 40 पेज का प्रोजेक्ट तैयार कीजिए:
1-      मन की बात और रेडियो :
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के मन की बात कार्यक्रम और उसके      प्रभाव पर कमसे कम 20 श्रोताओं और विशेषज्ञों से बातचीत कीजिए और एक विश्लेषणात्मक रिपोर्ट लिखिए.
2-    टीवी पत्रकारिता: स्वरुप और चुनौतियां
अपने इलाके के किन्हीं दो जाने-माने टीवी पत्रकारों से उनके कार्यों, दायित्वों, टीवी पत्रकारिता और जीवनचर्या पर वीडियो इंटरव्यू लेकर उसकी स्क्रिप्ट के साथ सीडी प्रस्तुत करें.
PGDJMC
1-       मीडिया पत्रकारिता:
मीडिया से सम्बंधित निम्न में से किन्हीं तीन वेबसाइटों का विश्लेषण प्रस्तुत कीजिए.
http://www.newswriters.in
http://www.bhadas4media.com
http://www.jansattaexpress.in
http://www.mediakhabar.com
http://www.samachar4media.com

http://www.afaqs.com/
2-       कृषि पत्रकारिता:
अपने इलाके के किन्हीं दो अखबारों की कृषि की कवरेज का तुलनात्मक विवेचन कीजिए.

MJMC
1-       किसान चैनल और कृषि पत्रकारिता:
किसान चैनल के आने से कृषि पत्रकारिता में नई हलचल हुई है. कृपया कृषि पत्रकारिता के समग्र परिदृश्य का खाका प्रस्तुत कीजिए.
2-       सोशल मीडिया के फायदे और नुकसान:
इस मुद्दे पर कम से कम 20 लोगों से बातचीत कर विश्लेषण प्रस्तुत कीजिए. लोगों में युवा, स्कूली बच्चे, शिक्षक, वकील, पत्रकार सभी हों.

किसी भी प्रकार की सलाह के लिए निम्न से संपर्क करें:
-    प्रो. गोविन्द सिंह
निदेशक, पत्रकारिता एवं मीडिया अध्ययन विद्याशाखा,
उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय, हल्द्वानी.
फ़ो: 09410964787

   



Tuesday, June 9, 2015

2020 में पूरी तरह बदल जाएगा न्‍यूज हासिल करने का तरीका : अर्णब गोस्वामी

exchange4media के IDMA 2015 में टाइम्‍स नाउ (Times Now) के एडिटर-इन-चीफ (Editor-in-Chief) ने पारंपरिक मीडिया (traditional media) और डिजिटल मीडिया (digital medium) की ताकत के बारे में बातचीत की। उन्‍होंने कहा कि डिजिटल की शुरुआत से ही वह हमेशा इसकी निंदा करते थे क्‍योंकि उनका मानना था कि टेलिविजन ही सबसे प्रबल माध्‍यम था।
गोस्‍वामी ने कहा, ‘मेरा मानना था कि टेलिविजन ही कोई एजेंडा तय करता है और डि‍जिटल उसे फॉलो (follow) करता है। इसलिए मैं डिजिटल को ट्रेडिशनल मीडिया का प्रतिद्वंद्वी मानता था। करीब आठ-नौ साल पहले जब मैंने Times Now शुरू किया था तब मैं डिजिटल के बारे में ज्‍यादा नहीं जानता था। मैंने पिछले आम चुनावों में ही डिजिटल के बारे में देखना शुरू किया था।’ उन्‍होंने कहा कि इसके बाद उन्‍होंने बातचीत के लिए डिजिटल माध्‍यम का इस्‍तेमाल शुरू किया। उन्‍होंने कहा कि यह बातचीत का सबसे अच्‍छा माध्‍यम है।
डिजिटल के बारे में एक पत्रकार के रूप में अपनी प्रतिक्रिया के बारे में उन्‍होंने कहा कि उनकी प्राथमिकता टेलिविजन थी और डिजिटल न्‍यूज सिर्फ काम्प्‍लिमेंट्री (complementary) हैं। अर्णब ने कहा, ‘टेलिविजन और डिजिटल न्‍यूज आने वाले समय में एक-दूसरे की पूरक होंगी। आने वाले समय में न्‍यूज चैनल, सोशल मीडिया सोर्स और न्‍यूज पोर्टल एक-दूसरे के क्षेत्र में मिल जाएंगे।’ उस समय यदि आप इनके साथ मिलकर नहीं चलेंगे तो आप नष्‍ट हो जाएंगे। टेलिविजन से जुड़ा व्‍यक्ति होने के नाते मेरा मानना है कि ये तीन कैटेगरी- न्‍यूज चैनल, सोशल मीडिया सोर्स और न्‍यूज पोर्टल साथ काम करेंगे।’ Times Now channel  का उदाहरण देते हुए गोस्‍वामी ने कहा कि 70 प्रतिशत लोग न्यूजआर (newshour) कभी-कभी देखते हैं लेकिन सात माह में इनकी संख्‍या ट्विटर पर ढाई मिलियन (2 and half million) हो गई है, इसलिए इसे किसी भी तरह की मार्केटिंग की जरूरत नहीं है।
गोस्‍वामी ने कहा कि अपने दर्शकों के बारे में पता लगाने पर ज्ञात हुआ कि वे विभिनन मीडिया से हैं और आपको विभिन्‍न तरीकों से प्रतिक्रिया दे रहे हैं। उन्‍होंने कहा, ‘जो लोग मुझे कॉल कर रहे हैं, वे वह नहीं हैं जो मुझे ईमेल भी भेजेंगे। इसके अलावा जो लोग मेरे प्रोग्राम के दौरान ट्विटर पर ट्वीट करते हैं, वह लोग अलग हैं और जो मुझसे Times Now के comment section में बातचीत करते हैं, वे अलग हैं। मुझे विश्‍वास नहीं हुआ कि NewsHour की डिबेट्स और TAM या  BARC पर हमारी दर्शकों की संख्‍या (viewership ratings) में सीधा संबंध है। इसके अलावा उन्‍होंने #ShameinSydney के निर्माण को लेकर Times Now  के साथ जुड़े ट्विटर के विवाद के बारे में भी चर्चा की। उन्‍होंने बताया कि इसको लेकर उन्‍हें बहुत ट्वीट मिले थे और वे काफी आलोचनात्‍मक थे।
गोस्‍वामी ने कहा, ‘टेलिविजन से जुड़ा व्‍यक्ति होने के नाते मेरे पास रेवेन्‍यू जुटाने का एक और साधन है। इसके अलावा मेरे दर्शकों की संख्‍या भी बढ़ रही है और  मेरे ब्रैंड का प्रभाव भी काफी है, जिसने काफी कुछ हासिल किया है।’ उन्‍होंने कहा कि चूंकि वह टेलिविजन प्रोड्यूसर हैं, इस नाते डिजिटल ने उनके ब्रैंड और कंटेंट को आगे बढ़ाने का अच्‍छा अवसर प्रदान किया है।
उन्‍होंने कहा कि कई लोग इस बारे में ट्वीट कर रहे हैं कि यह सेलफोन से नहीं हो रहा है लेकिन डेस्‍कटॉप और लैपटॉप से हो रहा है। यदि इसकी स्‍पीड काफी बढ़ जाती है तो लोग इसकी कल्‍पना कर सकते हैं और डिजिटल मीडिया न्‍यूज सोर्स हो सकते हैं। इसके बाद अर्णब गोस्‍वामी ने 1995 से शुरू हुए डिजिटल युग (digital age) में पैदा होने वाले लोगों के बारे में बताया। जब वे कमाना शुरू करेंगे और अर्थव्‍यवस्‍था का मजबूत हिस्‍सा बनेंगे। उन्‍होंने कहा कि तब चीजें तेजी से बदलेंगी और मोबाइल डिवाइस का चलन ज्‍यादा बढ़ जाएगा। उन्‍होंने कहा कि आज आप जिस तरीके से न्‍यूज प्राप्‍त करते हैं, 2020 में वह तरीका बिल्‍कुल बदल जाएगा। अब हमारे सामने यह चुनौती है कि जब इस तरह की बड़ी घटनाएं होंगी तो हम उनके साथ कदम से कदम मिलाकर चल सकें।
http://samachar4media.com/the-way-you-consume-news-will-change-radically-in-2020-arnab-goswami