सम्पादन/ डॉ. महर उद्दीन खां
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रिपोर्टर समाचार लिखते समय उन सब बातों पर ध्यान
नहीं दे पाता जो अखबार के और पाठक के लिए आवश्यक होती हैं। खबर को विस्तार देने
के लिए कई बार अनावश्यक बातें भी लिख देता है। कई रिपोर्टर किसी नेता के भाषण को
जैसा वह देता है उसी प्रकार सिलसिलेवार लिख देते हैं जबकि सारा भाषण खबर नहीं
होता। इस भाषण से खबर के तत्व को निकाल कर उसे प्रमुखता देना सम्पादकीय विभाग का
काम होता है।
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कोई भी खबर अखबारी कारखाने का कच्चा माल होती है और पत्रकारिता का केवल पहला
चरण होती है। असल पत्रकारिता का आरंभ खबर का सम्पादकीय विभाग की मेज पर पहुंचना
होता है। यहां इस कच्चे माल को तैयार माल बनाने के लिए सम्पादकीय विभाग की एक पूरी
टीम होती है जिस में सब एडीटर , चीफ सब एडीटर न्यूज एडीटर और सहायक सम्पादक एवं
सम्पादक भी शामिल होते हैं जो आवश्यकतानुसार कारखाने के इंजीनियर
,मिस्त्री
और कामगार का रोल निभा कर खबर को तैयार माल बनाने अर्थात उसे पाठकों की रुचि के
अनुकूल बनाने में अपना योगदान करते है। खबर में कोमा फुल स्टाप के साथ साथ वर्तनी
और व्याकरण की त्रुटियां भी सही करनी होती हैं। खबर पर रोचक शीर्षक
लगाना और उसे सही स्थान देना भी
सम्पादन के अंतर्गत ही आता है। खबर का सम्पादन अगर सही नहीं हो पाता तो वह पाठक को
अपील नहीं कर सकती। नमूना देखें-
मूल खबर-पुजारी की हत्या के विरोध में उन के भक्त लोगों ने सड़क पर यातायात
जाम कर दिया। पुलिस द्वारा लाठियां चला कर उन्हें हटाया गया। बाद में पुलिस द्वारा
अनेकों भक्तों को गिरफ्तार कर पुलिस लाइन भेज दिया।
संपादित खबर- पुजारी की हत्या के विरोध में उन के भक्तों ने यातायात जाम कर
दिया। पुलिस ने लाठी चार्ज कर जाम खुलवाया और अनेक भक्तों को अरेस्ट कर पुलिस लाइन
भेज दिया।
मूल वाक्य- मदन लाल की ईश्वर में आस्था नहीं है और न ही वह धर्म कर्म में
विश्वास करता है।
संपादित- मदन लाल नास्तिक है।
रिपोर्टर समाचार लिखते समय उन सब बातों पर ध्यान नहीं दे पाता जो अखबार के
और पाठक के लिए आवश्यक होती हैं। खबर को विस्तार देने के लिए कई बार अनावश्यक
बातें भी लिख देता है। कई रिपोर्टर किसी नेता के भाषण को जैसा वह देता है उसी
प्रकार सिलसिलेवार लिख देते हैं जबकि सारा भाषण खबर नहीं होता। इस भाषण से खबर के
तत्व को निकाल कर उसे प्रमुखता देना सम्पादकीय विभाग का काम होता है। अनावश्यक शब्दों
को हटाना भी सम्पादकीय विभाग का काम है। खबर छोटा करने के लिए उस की सबिंग करनी
होती है। कभी कभी पूरी खबर को दोबारा लिखना होता है जिसे रिराइटिंग कहते हैं। इस
सारी प्रक्रिया में यह भी ध्यान रखना होता है कि खबर की आत्मा का नाश न हो जाए।
सम्पादन में एक खास बात और जिस पर ध्यान देना आवश्यक है वह यह कि खबर में कोई बात
एक बार ही कही जाए रिपीट नहीं होनी चाहिए।
देखने में आया है कि कई पत्रकार किसी घटना की खबर लिखने से पहले एक पैाग्राफ
की भूमिका लिखने के बाद खबर लिखते हैं उर्दू अखबारों में यह प्रवृति अधिक देखने को
मिलती है। जैसे किसी लूट की खबर लिखने से पहले लिखते हैं कि आजकल शहर की कानून
व्यवस्था भगवान भरोसे चल रही है, अपराधी सरे आम अपराध कर रहे हैं और पुलिस खामोश
तमाशाई बनी है। लोगों का पुलिस से विश्वास
उठता जा रहा है। कई लोग यहां से पलायन करने पर विचार कर रहे हैं। ध्यान रहे खबर
में भूमिका का कोई मतलब नहीं होता हां जब आप किसी विषय का विश्लेषण करें तो
भूमिका या टिप्पणी लिख सकते हैं। कई पत्रकार खबर के साथ अपने विचार भी परोस देते हैं
यह भी उचित नहीं है। किसी वारदात पर अपनी ओर से कोई निर्णय देना भी उचित नहीं है। साभार: www.newswriters.in
-डॉ. महर उद्दीन खां लम्बे
समय तक नवभारत टाइम्स से जुड़े रहे और इसमें उनका कॉलम बहुत लोकप्रिय था. हिंदी
जर्नलिज्म में वे एक महत्वपूर्ण हस्ताक्षर हैं संपर्क : 09312076949 email- maheruddin.
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