ऋचा वर्मा
सितंबर/अक्टूबर 2011
सितंबर/अक्टूबर 2011
फे़सबुक, ट्विटर आदि को रचनात्मक तरीके से इस्तेमाल करने के बारे में सोशल मीडिया विशेषज्ञ श्रीनिवासन के नुस्खे।
जो बात असल ज़िंदगी में लागू होती है, वही फे़सबुक और ट्विटर पर भी। इसलिए ‘‘ज़रूरत से ज़्यादा चीज़ें साझा न करें, इस पर अपना सारा समय न लगाएं। और यदि आप ऐसा करें भी तो इसे जाहिर न करें। ट्विटर पर आपने कुछ गड़बड़ की तो वह हमेशा वहां रहेगी या फिर इतने लंबे समय तक कि आपको वास्तविक नुकसान पहुंचा सके।’’
यह कहना है तकनीकी गुरू श्री श्रीनिवासन का। वह कोलंबिया यूनिवर्सिटी के ग्रेजुएट स्कूल ऑ़फ जर्नलिज़्म में विद्यार्थी मामलों के डीन और प्रोफे़सर हैं और वहां डिजिटल मीडिया प्रोग्राम के लिए पढ़ाते हैं। श्रीनिवासन को वर्ष 2004 में न्यूज़वीक पत्रिका ने अमेरिका के 20 सर्वाधिक प्रभावशाली दक्षिण एशियाइयों की सूची में शामिल किया। OnlineSchools.org के मुताबिक वह ‘‘अकादमिक जगत में ट्वीट करने वालों में पहले सौ लोगों में शामिल हैं।’’ वह 4,000 फे़सबुक प्रशंसकों से जुड़े हैं (http://www.facebook.com/SreeTips) और ट्विटर पर 22,000 लोग उन्हे फॉ़लो कर रहे हैं (http://twitter.com/sree)। वह नियमित तौर पर इंटरनेट पर तकनीकी गुर, लेख और जॉब अलर्ट देते रहते हैं।
स्पैन को दिए एक साक्षात्कार में श्रीनिवासन ने कहा, ‘‘स्मार्ट और सुरक्षित तरीके से आप सोशल मीडिया को आइडिया के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं, आपने सुबह के नाश्ते में क्या खाया, मूर्खतापूर्ण चीजें पोस्ट करने या फिर गेम खेलने से कहीं आगे। यह दीर्घकालीन संबंध और संपर्क बनाने का मामला है जिससे कि जब कोई आपका प्रोफाइल देखे तो यह आपको अच्छा दिखाए। वे सोचें कि आप कितने स्मार्ट महिला या पुरुष हैं। वे यह न कह पाएं कि यह व्यक्ति इतना समय खराब करता है।’’
श्रीनिवासन ने अमेरिकन सेंटर में नई दिल्ली के स्कूली बच्चों के सवालों के जवाब दिए, जिनमें से बहुत से फे़सबुक पर अपने माता-पिता के दोस्त बनने के आग्रह की उपेक्षा करते आ रहे हैं। उन्होंने गैरसरकारी संगठनों के क्रियाकलापों में भागीदार लोगों से भी विचार-विमर्श किया। उन्होंने इन लोगों को इस बारे में ताज़ा जानकारी दी कि उन्हें सोशल मीडिया का इस्तेमाल किस तरीके से अपने लाभ के लिए करना चाहिए। श्रीनिवासन स्प्ष्ट करते हैं कि उनका ‘‘असली मिशन लोगों के लिए सोशल मीडिया की मौज-मस्ती को बर्बाद कर देना है।’’ वह चाहते हैं कि लोग सोशल मीडिया का इस्तेमाल ज़्यादा रणनीतिक तौर पर करें, सिर्फ गेम खेलने के लिए नहीं।
ऐसा लगता है कि उन्होंने कुछ चुनिंदा लोगों की मौज-मस्ती ज़रूर खराब कर दी है।
बेंगलुरु की विद्यार्थी अंकिता ने श्रीनिवासन के फे़सबुक पृष्ठ पर लिखा, ‘‘आपने हमारे लिए सोशल नेटवर्किंग के समय काटने और मौज-मस्ती करने वाले पक्ष को ज़रूर बर्बाद कर दिया। लेकिन आपने हमें इसका विश्लेषण करने का नया कोण भी दिया है... अब हम यह जानते हैं कि वहां होना और संपर्क में रहना कितना महत्वपूर्ण है।’’
शौनक बनर्जी भी अंकिता के विचारों से सहमत हैं। वह एमिटी इंटरनेशनल स्कूल, नोएडा (उत्तर प्रदेश) के विद्यार्थी हैं। बनर्जी ने एक ई-मेल इंटरव्यू में बताया, ‘‘उन्होंने मुझे सोशल मीडिया को पूरी तरह नए... और प्रॉडक्टिव रूप में देखना सिखाया। सोशल मीडिया सिर्फ लाइक्स, कमेंट और स्टेटस अपडेट नहीं है बल्कि इसमें और भी बहुत कुछ है।’’
www.blowtrumpet.com के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अर्जुन सिंघल को लगता है कि सोशल मीडिया व्यवसाय, प्रोफेशन और व्यक्तिगत तौर पर ब्रांड निमार्ण करने के लिए बड़े अवसर उपलब्ध कराता है। उनकी कंपनी गैरलाभकारी संगठनों और शिक्षा संस्थानों को ऑनलाइन मीडिया संपर्क रणनीति के बारे में बताती है। वह कहते हैं, ‘‘यदि हम अपनी पाठ्यसामग्री की गुणवत्ता बढि़या कर पाएं और सोशल मीडिया की बेहतर समझ से लोगों के साथ नाता जोड़ पाएं ... तो इंटरनेट लोगों के लिए संचार का ज़्यादा उत्साहकारी साधन और शिक्षा और गर्वनेंस का ज़रिया बन पाएगा।’’
नई दिल्ली में नासकॉम फा़उंडेशन की वाइस प्रेज़िडेंट, प्रोग्राम सागरिका बोस को श्रीनिवासन का उद्बोधन अपने नेटवर्क के गैरसरकारी संगठनों के लिए सूचनापरक लगा। नॉसकॉम फा़उंडेशन सोशल मीडिया केजरिये स्वयंसेवा जैसे मसलों पर जागरूकता पैदा करती हैं।
बोस कहती हैं, ‘‘व्यक्तिगत तौर पर मुझे श्रीनिवासन का टिकाऊ सोशल मीडिया पर जोर देना अच्छा लगा। यह महत्वपूर्ण है क्योंकि गैरलाभकारी संगठनों के पास सीमित संसाधन होते हैं और उनके लिए आवश्यक है कि ज़्यादा प्रभावी होने के लिए वे छोटे स्तर पर पूरे फो़कस के साथ स्पष्ट कार्ययोजना के साथ शुरुआत करें।’’
इस सीज़न में अमेरिकी कॉलेजों में प्रवेश ले रहे छात्रों के लिए श्रीनिवासन ने इस बात की ज़रूरत पर ज़ोर दिया कि वे सोशल मीडिया का इस्तेमाल भारत में अपने परिवार के साथ संपर्क में रहने के साथ ही अमेरिका में नए संबंध बनाने के लिए भी करें। ‘‘बहुत से भारतीय छात्र खुद से ही चिपके रह जाते हैं। मैं चाहूंगा कि वे दूसरे लोगों से भी नाता जोड़ें।
मुबई में श्रीनिवासन के उद्बोधन को सुनने वाले http://mumbaiboss.com/ के संस्थापक और संपादक नयनतारा किलाचंद कहते हैं, ‘‘दुनिया के एक बड़े हिस्से के लिए सोशल मीडिया संचार का आम साधन बन चुका है। आप इसकी उपेक्षा या इसकी ताकत को अपने खुद के नुकसान की कीमत पर ही कम आंक सकते हैं।’’
श्रीनिवासन ने अपने उद्बोधन में नए मीडिया प्लेटफॉ़र्म के उद्भव के बारे में भी बताया। उनका यह कार्यक्रम अमेरिकी दूतावास की ओर से जून में चेन्नई, बेंगलूर, हैदराबाद, इंदौर, जमशेदपुर, त्रिवेंद्रम और कोलकाता में आयोजित हुआ। नई दिल्ली में कॉलेज के विद्यार्थियों और सोशल मीडिया में दिलचस्पी रखने वालों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि गूगल प्लस को लेकर जिस तरह की दीवानगी दिख रही है, वह अद्भुत है, खासकर यह देखे हुए कि दो महीने पहले तक कोई दूर-दूर तक भी नहीं सोचता था कि ऐसा संभव है।
उन्होंने कहा, ‘‘भारत या दुनिया में कहीं और, युवा लोग जिस तरीके से सोशल मीडिया का इस्तेमाल करते हैं, उसमें मुझे कोई अंतर देखने को नहीं मिलता और इसीलिए गूगल प्लस का आना इतना दिलचस्प है। यह पूरी दुनिया में एकसाथ आया है। फे़सबुक को पहले हार्वार्ड के लोगों ने इस्तेमाल किया और फिर कालंबिया के लोगों ने। तो इसकी प्रक्रिया धीमी थी। लेकिन यह एक क्षण में ही हो रहा है और इसलिए जो लोग यह सोच रहे हैं कि गूगल प्लस का क्या करना है, वे इसी समय इस कमरे में भी हो सकते हैं।’’
कोलकाता में श्रीनिवासन के उद्बोधन को सुनने वाले पूर्व प्रोफेसर और असम विश्वविद्यालय के डीन देबाशीश चक्रवर्ती कहते हैं, ‘‘हालांकि गूगल प्लस का इस्तेमाल अभी चुनिंदा लोग ही कर रहे हैं, इसमें मल्टीपल वीडियो चैट, सर्किल्स आदि आकर्षक ़फीचर हैं... जिसके चलते इसमें अपार सफलता पाने की क्षमता है।’’
नासकॉम की सागरिका बोस इससे सहमत हैं लेकिन कहती हैं कि गूगल प्लस के भविष्य के बारे में कुछ भी कहना अभी जल्दबाजी होगी। ‘‘गूगल प्लस के शुरू होने के कुछ ह़़फ्तों में ही जिस तरह से लोगों ने इसमें दिलचस्पी दिखाई, वह आश्चर्यजनक है... लेकिन गूगल को इस गति को बनाए रखने के लिए कड़ी मेहनत करनी होगी।’’
विद्यार्थी समुदाय की पुराने या नवोदित सोशल मीडिया प्लेटफॉ़र्म पर अपना समय लगाने की दुविधा को लेकर श्रीनिवासन की सलाह है, ‘‘आपके अध्यापक या बॉस के आग्रह के अनुरूप चीज़ों को संपन्न करना और उन्हें डिलीवर कर देना महत्वपूर्ण है, जो जीवन में आपकी सफलता तय करते हैं। चीज़ों को टालने से बचना इसका बड़ा हिस्सा है। फे़सबुक और ट्विटर पर समय का प्रबंधन ऐसा सर्वश्रेष्ठ कौशल होने जा रहा है जो आपको सीखना चाहिए। और हमेशा याद रखें सोशल मीडिया आपके लिए आपकी समस्याएं नहीं सुलझा सकता।’’
http://span.state.gov/hi/social-media/demystifying-social-media
अमेरिकी दूतावास की पत्रिका 'स्पैन' से साभार
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