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Friday, July 15, 2016

स्नैपचैट फ़िल्टर: एक नया विजुअल माध्यम


सोशल नेटवर्किंग प्लेटफॉर्म स्नैपचैट फ़िल्टर का इस्तेमाल अमूमन लोग दोस्ताना बातचीत को मनोरंजक बनाने के लिए करते हैं लेकिन भारत में इसका इस्तेमाल कहीं गंभीर उद्देश्य के साथ किया जा रहा है.
भारत में यौन उत्पीड़न पीड़ित इस प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल अपना दर्द सुनाने के लिए कर रहे हैं.
इस फ़िल्टर के चलते पीड़ित महिलाएं अपने अनुभव को कहीं ज़्यादा सहज होकर शेयर कर रहीं हैं, क्योंकि फ़िल्टर के चलते उन्हें भरोसा होता कि पहचान जाहिर नहीं होगी.
हिंदुस्तान टाइम्स के मोबाइल एडिटर यूसुफ उमर ने इस तरह का प्रयोग किया है. उन्होंने यौन उत्पीड़न की शिकार महिलाओं के साक्षात्कार को स्नैपचैट फ़िल्टर के जरिए पाठकों के सामने रखा है.
उमर ने अपने इस प्रयोग के बारे में बताया है, “आंखों से आत्मा की सच्चाई का पता चल जाता है. इतना ही नहीं स्नैपचैट अपने फ़िल्टर के लिए चेहरा मापने की तकनीक का इस्तेमाल करती है, जिससे चेहरे का हाव भाव पता चलता रहता है.
उमर के मुताबिक, “एक पीड़िता ने ड्रैगन फ़िल्टर का इस्तेमाल किया है और इसमें आप उसके चेहरे के भाव को आसानी से देख सकते हैं.
भारत में यौन उत्पीड़न एक गंभीर समस्या है, एक अनुमान के मुताबिक करीब 2.75 करोड़ महिलाएं इसकी शिकार हैं. इसके अलावा कई मामले ऐसे भी होते हैं, जिसमें पीड़िता भविष्य को लेकर डर के चलते मामले को दर्ज नहीं कराती हैं.
भारत सहित दुनिया के कई देशों में यौन उत्पीड़न की पहचान को जाहिर करना गैर क़ानूनी है. ऐसे में इस तकनीक का इस्तेमाल निश्चित तौर पर निजता के साथ अपनी बात कहने का मौका उपलब्ध कराता है.
ड्रैगन फ़िल्टर का इस्तेमाल करने वाली एक लड़की बता रही है कि पांच साल की उम्र में उसका उत्पीड़न हुआ है. उन्होंने बताया, “किसी ने हैदराबाद में मेरा अपहरण कर लिया. वे मुझे मैसूर ले गए, एक कमरे बंद कर दिया. उन्होंने मुझे प्रताड़ित किया और घर से बाहर नहीं निकलने देते थे.
यूसुफ ने बताया कि पीड़ित महिलाएं अपने फ़िल्टर का चुनाव ख़ुद करती हैं, और इससे उनके अंदर चीज़ों को कुछ हद तक कंट्रोल करने का भाव भी आता है.
यूसुफ़ ने ये भी बताया कि पीड़िता फ़िल्टर के इस्तेमाल के बाद अपनी तस्वीरों को देख लेती थीं, इस तरह उन्हें यकीन भी हो जाता था कि मैं उनकी पहचान ज़ाहिर नहीं करूंगा.
यूसुफ़ ने ये भी बताया कि इसके ज़रिए भारत ही नहीं दुनिया भर में यौन उत्पीड़न की शिकार महिलाओं को अपनी बात कहने का मंच मिल सकता है.
(बीबीसी हिन्दी.कॉम से साभार)  


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