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पत्रकारिता एवं जनसंचार के विभिन्न पाठ्यक्रमों के छात्रों के लिए विशेष कार्यशाला

Wednesday, June 1, 2016

पत्रकारिता को अपनी विश्वसनीयता बहाल करनी होगी: प्रो. पुष्पेश पंत

हिन्दी पत्रकारिता दिवस के अवसर पर यूओयू में संगोष्ठी
हल्द्वानी, 30 मई। हिन्दी पत्रकारिता दिवस के अवसर पर उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय में आयोजित संगोष्ठी में बोलते हुए जानेमाने टिप्पणीकारपद्मश्री प्रो.पुष्पेश पंत ने कहा कि आज हिन्दी का ह्रास और पत्रकारिता का अवमूल्यन हो रहा है। उन्होने कहा कि अखबार आज पाठक की जरूरत नही बल्कि आदत की वजह से खरीदा जाता है। जबकि कुलपति प्रो. नागेश्वर राव ने कहा कि हिन्दी पत्रकारिता को पाठकों को भी ध्यान में रखकर चलना चाहिए।
संगोष्ठी में मुख्य वक्ता जेएनयू के पूर्व प्रोफेसर पुष्पेश पंत ने कहा कि वर्तमान में मीडिया की विश्वसनीयता घट रही हैजो कि चिन्तनीय है। यह लड़ाई अकेले पत्रकार की नही है बल्कि इसके लिए समूचे समाज को बदलना होगा। उन्होने कहा कि हिन्दी अखबारों में धीरे-धीरे पाठ्य सामग्री भी कम हो रही हैइससे हिन्दी पत्रकारिता को नुकसान हो रहा है। प्रो.पंत ने हिन्दी अखबारों में अंग्रेजी के लेखकों के अनुदित कालम पर भी सवाल उठाये।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रो. राव ने कहा कि समाचार पत्र को पाठकों के अनुरूप चलना चाहिए। उन्होने कहा कि जो समाचार पत्र पाठकों के अनुरूप नही ढल पाये वह सफल नही हो सके। प्रो. राव ने कहा कि दूरस्थ्य शिक्षा ने हिन्दी पत्रकारिता को आगे बढ़ाने में काफी सहयोग दिया है। दूरस्थ्य शिक्षा कम पैसे में बेहतर शिक्षा देने का प्रयास कर रही है। पत्रकारिता विभाग के निदेशक प्रो. गोविन्दसिंह ने हिन्दी पत्रकारिता दिवस के महत्व के बारे बताया। उन्होंने कहा कि आज समाचार पत्रों का विस्तार तो हो रहा हैलेकिन उस विस्तार को संभाल पाने की हमारी तैयारी नही है. साथ ही चुनौतिया भी कहीं अधिक बढ़ी हैं.  व्यावसायीकरण हावी है।
कार्यक्रम में हिन्दुस्तान के स्थानीय संपादक योगेश राणा ने कहा कि आज हिन्दी भाषी राज्यों में पत्रकारों पर हमले की घटनाएं बढ़ रही हैजो कि चिन्ताजनक है। उन्होने कहा कि अखबारों का स्वरूप बदल रहा है अखबार से साहित्य संस्कृति खत्म हो रही है। हमें न्यू मीडिया के लिए खुद को तैयार रखना चाहिए। 
अमर उजाला के संपादक अनूप वाजपेयी ने कहा कि इस दिवस को उत्सव के रूप में मनाना चाहिए। नई चुनौतियों के साथ नया एजेंडा तय करना चाहिए। उन्होने कहा पत्रकारिता एक कठिन विधा है इसमें पककर जो तैयार होते है, वह ही सफल पत्रकार बन पाते है। आधारशिला पत्रिका के संपादक दिवाकर भट्ट ने कहा कि आज की पत्रकारिता की व्यावसायिक चुनौतियां हैहमें लोगों का विश्वास कायम रखना है तो निष्पक्ष पत्रकारिता करनी होगी। कुलसचिव प्रो. आरसी मिश्र ने कहा कि शिक्षा व पत्रकारिता का आपसी संबंध है। उन्होने आगन्तुकों का धन्यवाद किया। कार्यक्रम का संचालन पत्रकारिता विभाग के भूपेन सिंह व राजेंद्र कैड़ा ने किया। कार्यक्रम में निदेशक प्रो. एचपी शुक्लाप्रो. पीडी पंत व राजेंद्रसिह क्वीरा सहित बड़ी संख्या में अध्यापक और पत्रकार लोग थे।
                                                            -राजेंद्र क्वीरा

 















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